Editor Desk

समय पल पल सरकता जा रहा है । प्रकृति छण – छण नये – नये परिधान धारण करती जा रही हैं । परिवर्तनशील जगत में परिवर्तन का चक्र अबाध एवं अविराम गति से जा रहा है । नदियाँ कल – कल ध्वनि के साथ बहती जा रही है । पवन सन – सन कर बहता जा रहा है । नवजात पोधे विशालकाय वृछ होते जा रहे हैं । धरा से लिपटी लताएँ गगनचुम्बी होती जा रही है । घड़ी की सुइयां टिक – टिक कर कई सन्देश देती हुई बढ़ती जा रही हैं ।

मौसम पल – पल बदल रहा है । ऋतुएँ छन – छन बदल रही है । लोगों के मन और मिजाज दोनों बदल रहे हैं । पृथ्वी अपना रूप बदल रही हैं । आकाश अपना रंग बदल रहा हैं । नवजात शिशु अपन रंग और ढंग दोनों बदल रहे हैं । फिर प्रकृति की सुकुमार गोद में बैठा बी. बी. एम. महाविद्यालय का परिवेश कैसे न बदले ।

नवजात बी. बी. एम. महाविद्यालय अपने जीवन का पच्चीसवां वसंत पार कर संस्थागत दृस्टि से जवानी की दहलीज पर कदम रख चूका हैं । इसने अपने जीवन में कई झंझावातों को झेल है । कई तूफानों से टकराया हैं । कई बार काले बादलों ने इसे घेरा है और कई बार इस पर ओले गिरे हैं । इसने अपने प्रारंभिक काल में सोना उछला और चाँदी लुढ़की की तरह उत्थान – पतन का सफर तय किया है |

आज मौसम साफ हैं । बासंती हवा बाह रही है । भगवान भास्कर का तेजपुज चदुर्दिक फैला हुआ है । ज्ञान गंगा की निर्मल धारा कलुषित तन – मन को पावन कर रही है । रसालों में नजर आ गये है । अधखिली कलियाँ फूल बन गयी हैं । फिर ऊसर भूमि पर बस महाविद्यालय का प्रांगण हरियाली में कैसे न बदले ?

आज महाविद्यालय का ‘रजत जयंती समारोह ‘ मनाया जा रहा है । विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किये जा रहे हैं । महाविद्यालय का इंद्रधनुषी वितान तना हुआ है । सुभेच्छाओं का आगमन हो रहा है । महाविद्यालय का प्रांगण महमह हो रहा है । पूर्वर्ती से लेकर अध्ययनरत शिछार्थी हर्षोल्लास मन रहे हैं । आज स्व0 बिनोद बिहारी महतो का सपना साकार हो उठा है |

आज अतीत और वर्तमान का चेहरा साफ है । हम क्या थे , क्या हो गये । महाविद्यालय को अनेक समस्याओं से गुजरना पड़ा है । कई मझधारो को पार करना पड़ा है । कई चट्टानों को तोडना पड़ा है । कई सेतुओं को जोड़ना पड़ा है । कई बयारों को झेलना पड़ा है, तभी हम आज चन्दन की शीलता और अमृत – सा मधुकोष पाने में सफल हो पाये हैं |

डॉ0 शिवेश ने ठीक ही कहा है कि :-

गाड़ी को पटरी पर लेन में , समय तो लगता है

छोटे बच्चो को गाने में , समय तो लगता हैं,

जीवन भर कोई करे तपस्या , उपलब्धि नहीं मिलती

जीवन के फल को पाने में, समय तो लगता है |

‘कंधों पर सलीब ‘ में उन्होंने आगे कहा है कि :-

दुःख से मत घबराकर भागो, जीवन के मैंदा से,

आपद, विपदा को जाने में , समय तो लगता है,

दौड़ की आशा मत कर जल्दी, छोटे – चोटों से,

नन्हें पावों को धन में , समय तो लगता है |

आज हमारे पूर्ववर्ती छात्र – छात्राओं ने विविध छेत्रों में डंका बजा दिया है । ग्रामीण छेत्र में महाविद्यलय की सार्थकता सिद्ध होने लगी है । ‘तमसो माँ ज्योतिर्गमय ‘ का परम लक्ष्य पूरा होने लगा है । ‘रजत जयंती वर्ष ‘ पर इसका हमें गर्व है |

महाविद्यालय की २५ वर्षगांठ पर झारखण्ड के मुख्यमंत्री श्री मधुकोड़ा , विनोबा भावे विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ0 एम0 पी0 सिन्हा , परीछा नियंत्रक श्री एम0 के0 सिंह , धनबाद के उपायुक्त श्री अजय कुमार सिंह , आरछी अधीछक श्री शीतल उराँव , भारत कोकिंग कॉल लिमिटेड के निदेशक (कार्मिक) श्री पी0 ई0 कच्छप एवं कई आत्मीय जनोंa की शुभकामना हमारे लिए संजीवनी के समान है ।

स्मारिका के लेखकों एवं विज्ञापन दाताओं का हम बेहद आभारी हैं । प्रत्यछ एवं परोछ सहयोग प्रदान करने के प्रति हम कृतज्ञता ज्ञापित करते हैं । किसी प्रकार की भूल के लिए हम छमा प्रार्थी हैं |